तुमने देखा है,सुबह जब उगते सूरज के साथ, गीत गाती है ,चिड़िया। तुमने देखा है,सुबह जब उगते सूरज के साथ, गीत गाती है ,चिड़िया।
थिरक रहा है मन थिरकता तन, थिरक रहा है मन थिरकता तन,
सुबह सवेरे उठ जाती हो। ना जाने क्या गाती हो।। सुबह सवेरे उठ जाती हो। ना जाने क्या गाती हो।।
जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है। जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है।
उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है। उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है।
कविता है तो कवि है ,कवि है तो कविता जीवन की लय समझाती है जीवन सरिता। मधुरिम मधुरिम कविता है तो कवि है ,कवि है तो कविता जीवन की लय समझाती है जीवन सरिता। म...